संवाददाता अशोक मुंडा।
रांची, (झारखंड)। दिनांक 04/02/2024 रांची मोराबादी मैदान में भाजपा आरएसएस की आदिवासी विरोधी नीतियों और आदिवासी समुदाय को आपस में लाने की षड्यंत्र के खिलाफ आदिवासी एकता महा रैली का आयोजन किया गया। देश आजादी के बाद जिस तरह से आदिवासी समाज अपने हक अधिकार और जल जंगल जमीन की सुरक्षा के लिए आंदोलन करते आ रहे हैं और वर्तमान में भी आदिवासी समाज षड्यंत्र का शिकार हो रहा है। इसके खिलाफ में आदिवासी एकता महारैली के माध्यम से अपने संवैधानिक अधिकार एवं राजनीतिक हिस्सेदारी और आरक्षण के तहत नौकरी, आदिवासी अपनी भाषा संस्कृति और पहचान को लेकर हमेशा पुरजोर आवाज उठाते रहा है। जिससे भाजपा एवं आरएसएस के द्वारा आदिवासियों को लगातार उनके हक एवं अधिकारों से वंचित रखने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) वनाधिकार अधिनियम जैसे काले कानून को ला रही है, जबकि आदिवासी समुदाय के कई ज्वलंत और बुनियादी सवाल भी सामने हैं, इसपर बीजेपी बात नहीं करती है।
आदिवासियों के धार्मिक सांस्कृतिक रूढ़ी वादी पंरपरा भाषा के साथ खिलवाड़ करने वालों खदेड़ना होगा-
बंधु तिर्की ने कहा आदिवासियों को जिस तरह से लंबे अरसे तक मांग चली आ रही है, ऐसे परिस्थिति में सरना धर्म कोड, पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून और सीएनटी एक्ट एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर जमीन से बेदखल किए जाने का पुरजोर विरोध करते हुए। आज अपनी सशक्तिकरण और आदिवासी भाषा संस्कृति पहचान को मिटाने पर भाजपा के खिलाफ आदिवासी समाज के युवा, छात्र, नौजवान, मजदूर किसान, महिलाओं ने काफी मात्रा में शामिल होकर अपने संवैधानिक अधिकारों को बचाने को लेकर गोल बंद हो रहे हैं, और आने वाले दिनों में अपने हक अधिकार के लिए लड़ने के लिए एकजुटता का परिचय दे रहे हैं ।
आदिवासियों को अपने जल जंगल जमीन एवं हक अधिकार के लिए हमेशा खड़ा रहना होगा
प्रेम शाही मुंडा आदिवासी जन परिषद केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से झारखण्ड जैसे प्रदेश में आदिवासी समाज के शहर में बसे अपने मूल आदिवासी पहचान, स्वायत्तता, भाषा, संस्कृति एवं रूढि-परंपरा से बेदखल हो रहे हैं और गांव के आदिवासी अपनी जमीन, इलाका एवं प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल किये जा रहे हैं। लेकिन अपनी पहचान, स्वायत्तता, भाषा संस्कृति एवं रूढ़ि-परंपरा और जमीन, इलाका एवं प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की लड़ाई लड़ने के बजाय ये आदिवासी लोग धर्म, आरक्षण और डीलिस्टिंग के नाम पर आपस में ही लड़ रहे हैं। आदिवासियों को आरक्षण के नाम पर आपस में लड़वाने वाले सवर्ण लोग आरक्षण का विरोध करते हुए उसे खत्म करने हेतु अभियान चला रहे हैं। आदिवासियों का जंगल काॅरपोरेट को सौंपा जा रहा है। संघ परिवार सरना कोड का विरोध करता है। प्रेमशाही मुंडा ने कहा जागो आदिवासी भाई जागो!
बीजेपी आरएसएस का तो डीलिस्टिंग एक बहाना है, असल में आदिवासियों को असली मुद्दों से भटकना है
गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज अब अपने हक अधिकार की जब मांग करते हैं, तो धर्म और जात के नाम पर एक आदिवासी से दूसरे आदिवासी भाई से लगाने का काम कर रही है, सरना धर्म कोड राज्य सरकार ने विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है लेकिन अभी तक सरना धर्म कोड देने की बात नहीं कर आदिवासियों को डीलिस्टिंग जैसे शब्दों को लाकर ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है। जिससे आदिवासी समाज को बचने की जरूरत है।
आदिवासी एकता महारैली में संबोधित किया
पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार बुलमुचू, आजसू के संस्थापक और आदिवासी कांग्रेस नेता प्रभाकर तिर्की, पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की, सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला, ग्लैडस डुंगडुंग, वासवी, पीसी मुर्मू, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप, कांग्रेस नेत्री रमा खलखो, आदिवासी सेना के अध्यक्ष अजय कच्छप, क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप तिर्की, जगदीश लोहरा, रैली के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा, बेलस तिर्की समेत कई ने संबोधित किया। रैली में मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की के संदेश को रतन तिर्की ने पढ़ कर सुनाया।