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अवैध बालू की ढुलाई से राजस्व की हो रही नुकसान, रातभर चलता है,हाईवा में अवैध बालू की ढुलाई ,जिला पुलिस प्रशासन मौन

रामगढ़|जिले में बालू की अवैध ढुलाई में खाकी वर्दी एवं सफेद पोश और कुछ राजनीति दलों के संरक्षण से रात के अंधेरे में 8:30 बजे से सुबह 8 बजे तक हाईवा में अवैध बालू का कार्य काफी तेज गति से चल रहा है|


रामगढ़ के पतरातू थाना क्षेत्र के ऊरीमारी से भुरकुंडा, भदानीनगर थाना,बरकाकाना ओपी क्षेत्र होते हुए रामगढ़ सुभाष चौंक होते हुए जिले एवं जिले के बाहर हो रही है, प्रत्येक दिन रातों-रात भर धड़ल्ले से अवैध बालू की ढुलाई हो रही है, जिससे झारखंड में राजस्व की काफी नुकसान हो रही है, दूसरे तरफ राजस्व की भरपाई के लिए सरकार गांव गांव में शराब की दुकान खोलने में जुटी हुई है, जिसका कुछ आदिवासी सामाजिक संगठनों के द्वारा विरोध भी शुरू हो गया है।

अवैध बालू की धुलाई से खांखी वर्दी वाले एवं बालू माफिया हो रहे हैं,मालामाल! आम जनता है, बालू खरीदने के लिए मोटी रकम लगने से बेहाल

रामगढ़ जिला प्रशासन द्वारा बीच-बीच में अवैध कोयला एवं बालू की ट्रैक्टरों से ढुलाई पर छापेमारी कर वाहनों को जप्त करने की मामले सामने आते हैं,लेकिन जिले में छोटे छोटे मछलियों को तो निगल लिया जा रहा है ,लेकिन बड़े मछलियां जो प्रशासन और नियम कानून को पैकेट में रखकर के उनके सहयोग से अभी भी लगातार अवैध कारोबार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, ऐसा लगता है, की अवैध कारोबार की वसूली से ही जिले में विकास का कार्य हो रहा है।

बालू माफियाओं द्वारा रात में हाईवा से अवैध बालू गिराकर क्षेत्र में मोटी रकम में बेची जाती है, प्रति ट्रैक्टर बालू ....


नदियों में अवैध बालू की ढुलाई से बालू की कीमत आसमान छूते जा रहा है, बालू की कीमत जिससे आम जनता को इंदिरा आवास या अपने घर मकान बनाने के लिए मोटी कीमत चुकानी पड़ती है। इसके लिए प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। टास्क फोर्स की बैठक लगातार होती है, लेकिन अभी तक जो बालू की घाट नीलामी होने की जो प्रक्रिया चल रही है , सिर्फ कागजों और ऑफिसों तक ही सीमित रह गई है, जो समझ से परे है।

अवैध बालू की धुलाई से नदियों में हो गई है, खंजर

बालू माफियाओं के द्वारा सभी बालू घाटों में बालू की सफाया और चट करके नदी घाटों में खंजर सा हाल बनाकर छोड़े जाने पर लोग काफी परेशान हैं ,और आम गरीब मजदूर को सस्ते दामों पर बालू नहीं मिल पा रही है। जिससे लोग अपने घर मकान नहीं बना पा रहे हैं|

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