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रेत के अवैध खनन से गहरा सकता है जल संकट, नदियों में रास्ता बनाकर किया हो रहा परिवहन, नदियों का अस्तित्व खतरे में...कब जागेंगे जिम्मेदार!

संवाददाता सज्जाद अली। मंडला (मप्र)। जिले में रेत ठेकेदार इस कदर हावी है कि नदियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। लगातार बड़ी मशीनों के माध्यम से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। जिससे नदियों में पल रहे जीव जंतु व नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इस भीषण गर्मी में भी रेत का उत्खनन नदी में मशीन लगाकर पानी के अंदर से रेत निकाली जा रही है। ऐसा ही एक नजारा इंद्री में देखा जा सकता है।

जहां रेत उत्खनन एवं परिवहन के लिए नदी में सैकड़ों ट्राली बोल्डर एवं मुर्रम का पुराव कर युद्ध स्तर में सड़क का निर्माण कर दिया गया नदी का स्वरूप एक मैदान जैसा दिखाई देने लगा। यदि इसी तरह सैकड़ों ट्राली मुर्रम और बोल्डर का पुराव प्रतिवर्ष होता रहा, तो निश्चित ही नदी को मैदान का स्वरूप लेने में समय नहीं लगेगा। साथ ही सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल संवर्धन कार्यक्रम को लेकर सरकार के द्वारा तरह तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं।युद्ध स्तर पर अमृत सरोवर का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में पानी की कमी की समस्या से निपटा जा सके वहीं दूसरी तरफ रेत कंपनी के द्वारा नदियों में नियम विरुद्ध तरीके से युद्ध स्तर में सड़क का निर्माण कर अपने निजी स्वार्थ के लिए नदियों को मैदान बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोई कार्यवाही नहीं होने से इनके मंसूबे बहुत हद तक सफल होते दिखाई दे रहे हैं। संबंधित जवाबदारों का इस और ध्यान न जाना कोई कार्यवाही न करना चिंतनीय विषय है। 

यदि इसी तरह नदियों के अस्तित्व से खिलवाड़ होता रहा तो निश्चित ही एक दिन ये जीवन दायिनी नदियां गर्मी के दिनों में जब अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है।खुद एक एक बूंद पानी को मोहताज होकर जल संकट का कारण बन सकती हैं। किंतु सत्ता और सत्ता से जुड़े लोगों का मूल उद्देश्य ही रेत का अवैध उत्खनन करना हो गया है। जिले के अंदर यही देखा जा रहा है। कि सत्ता से जुड़े लोग ट्रैक्टरों से बेखौफ हो कर दिन रात एक कर नदी को छलनी कर रहे हैं। सूबे के मुख्यमंत्री मंचों से रेत का अवैध उत्खनन करने के लिए बार बार निर्देश देते हैं किंतु ये आदेश उन्हीं के अधिकारी नहीं मानते इससे एक बात तो साबित होती है। की सरकारी तंत्र लाख चाहे पर अवैध उत्खनन रुकते दिखाई नहीं दे रहा है।

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