जयपुर: एसआई भर्ती-2021 में पेपर लीक घोटाले का शर्मनाक खुलासा, फर्जीवाड़ा उजागर, मेहनती युवाओं का भविष्य दांव पर
June 17, 2025
जयपुर, 17 जून 2025: राजस्थान के सांसद राजकुमार रोत ने मंगलवार को एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए 2021 की सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा और पेपर लीक का गंभीर मामला सामने लाया है। इस घोटाले ने न केवल राज्य की भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मेहनती और योग्य अभ्यर्थियों के सपनों को भी रौंद दिया है। सांसद के आरोपों के केंद्र में अनुसूचित क्षेत्र के टॉपर्स आदित्य उपाध्याय और प्रवीण खराड़ी के नाम हैं, जिन्हें पेपर खरीद-फरोख्त में शामिल बताया जा रहा है।
फर्जीवाड़े का चौंकाने वाला सच
सांसद राजकुमार रोत ने दावा किया कि इस भर्ती परीक्षा का पेपर पूरी तरह लीक हो चुका था, और योग्यता के बजाय धनबल ने चयन प्रक्रिया को प्रभावित किया। उन्होंने विशेष रूप से आदित्य उपाध्याय के मामले पर प्रकाश डाला, जिनके पिता बुद्धि सागर ने जनजातीय क्षेत्रीय विकास (TAD) विभाग में कार्यरत रहते हुए करोड़ों रुपये के कथित घोटाले को अंजाम दिया। रोत के अनुसार, इन गैरकानूनी कमाई के पैसे का इस्तेमाल अपने अयोग्य बेटे को SI बनाने के लिए किया गया। यह घटना न केवल भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे सरकारी तंत्र में बैठे लोग अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं।
रोत ने आगे कहा कि इस तरह के फर्जी तरीकों से चयनित लोग, जो मेहनत और योग्यता के बजाय पैसे के दम पर नौकरी हासिल करते हैं, भविष्य में पुलिस अधिकारी के रूप में अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी, दलित, पिछड़े और गरीब वर्ग के लोगों के साथ अन्याय और शोषण का कारण बन सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ये नकली SI आने वाले 30 सालों तक राज्य की कानून-व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकते हैं।
व्यापक फर्जीवाड़े का दायरा
यह मामला केवल दो व्यक्तियों तक सीमित नहीं है। सांसद ने दावा किया कि न जाने कितने अभ्यर्थियों ने पैसे देकर पेपर खरीदे और SI की नौकरी हासिल की। इस फर्जीवाड़े ने उन सैकड़ों मेहनती युवाओं के सपनों को कुचल दिया, जो कठोर परिश्रम और निष्ठा के साथ इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। रोत ने कहा कि यह घोटाला राज्य सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार की जड़ों को दर्शाता है, जहां योग्यता को दरकिनार कर रिश्वतखोरी और प्रभावशाली लोगों की साठ-गांठ ने बाजी मारी।
उन्होंने यह भी बताया कि इस फर्जीवाड़े की जड़ें गहरी हैं, जिसमें नौकरी दिलाने के नाम पर दलालों और भ्रष्ट अधिकारियों का गठजोड़ शामिल है। कुछ अभ्यर्थियों ने दावा किया कि उन्हें पेपर की कॉपी 10 लाख रुपये तक में बेची गई, जो इस भ्रष्टाचार की भयावहता को दर्शाता है। यह सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक जीवंत उदाहरण है, जहां मेहनत की जगह पैसा राज करता है। इसके अलावा, कई अभ्यर्थियों ने शिकायत की कि परीक्षा केंद्रों पर निगरानी में भी लापरवाही बरती गई, जिससे फर्जीवाड़े को बढ़ावा मिला।
सांसद की मांग और राजनीतिक हलचल
इस फर्जी भर्ती को रद्द करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए सांसद राजकुमार रोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे हस्तक्षेप की अपील की। उनका तर्क है कि राजस्थान के महत्वपूर्ण निर्णय दिल्ली से प्रभावित होते हैं, इसलिए केंद्र को इस मामले में तत्काल कदम उठाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस घोटाले की निष्पक्ष जांच और पेपर लीक के वास्तविक जिम्मेदारों की गिरफ्तारी की मांग की।
हालांकि, इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कुछ यूजर्स और विपक्षी नेताओं ने सांसद पर राजनीतिक रंजिश के तहत यह मुद्दा उठाने का आरोप लगाया है, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह गरीब और बेरोजगार युवाओं को न्याय दिलाने का प्रयास है। सोशल मीडिया पर #SI_भर्ती_2021_रद्द_करो का ट्रेंड चल पड़ा है, और लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन की तैयारी में हैं। रोत ने हनुमान बेनिवाल के साथ मिलकर शहीद स्मारक पर आंदोलन तेज करने की बात भी कही है।
जांच और पिछले कार्रवाई का हाल
पिछले साल पुलिस की विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने इस मामले में पांच चार्जशीट दायर की थी, जिसमें 20 लोगों, जिसमें पूर्व राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के सदस्य भी शामिल हैं, को आरोपी बनाया गया था। इसके बावजूद, जांच की गति धीमी रही और दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी। कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि जांच में प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है, जो इस फर्जीवाड़े को और गंभीर बनाता है। पिछले दिसंबर में SOG ने टॉपर नरेश खिलेरी सहित 15 ट्रेनी SI को हिरासत में लिया था, लेकिन मामला अभी तक सुलझ नहीं सका है। इस बीच, भर्ती प्रक्रिया पर अनिश्चितता बनी हुई है, और कई अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी कर रहे हैं।
फर्जीवाड़े का समाज पर प्रभाव
यह घोटाला केवल एक परीक्षा की अखंडता पर सवाल उठाने तक सीमित नहीं है; यह राजस्थान के युवाओं के भविष्य और विश्वास पर हमला है। मेहनतकश अभ्यर्थी, जिन्होंने अपनी सेना, शिक्षक या रेलवे की नौकरी तक छोड़कर इस परीक्षा की तैयारी की, अब अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। दूसरी ओर, फर्जी तरीके से चयनित लोग समाज में पुलिस अधिकारी के रूप में सम्मान पाने के बजाय बदनामी का कारण बन रहे हैं। यह स्थिति राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं में बढ़ता आक्रोश नियंत्रण से बाहर हो सकता है।
कई परिवारों की उम्मीदें इस भर्ती से जुड़ी थीं, लेकिन फर्जीवाड़े ने उन्हें तोड़ दिया। एक अभ्यर्थी ने बताया कि उसने अपनी मां की गहने तक बेचकर परीक्षा की तैयारी की, लेकिन अब उसे लगता है कि उसका मेहनत बेकार गया। यह फर्जीवाड़ा न केवल व्यक्तिगत स्तर पर दर्द दे रहा है, बल्कि पूरे समाज में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा कर रहा है।
निष्कर्ष
सांसद राजकुमार रोत ने आम जनता से अपील की है कि वे इस अन्याय के खिलाफ एकजुट हों और शहीद स्मारक जैसे स्थानों पर प्रदर्शन में भाग लें। उन्होंने हनुमान बेनिवाल जैसे नेताओं के साथ मिलकर इस लड़ाई को तेज करने की बात कही है। वहीं, सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस फर्जीवाड़े को खत्म करे और नई, पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया शुरू करे। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।
यह घोटाला न केवल एक परीक्षा की अखंडता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे भ्रष्टाचार ने सिस्टम को जड़ से खोखला कर दिया है। अब यह जनता और सरकार पर निर्भर करता है कि इस फर्जीवाड़े को उखाड़ फेंकने के लिए कब और कैसे कदम उठाए जाएं।