बैगा आदिवासियों की दुर्दशा और हिरण सिंह परते एनकाउंटर की जांच की मांग
June 12, 2025
भोपाल, 12 जून 2025: मध्यप्रदेश में बैगा आदिवासी समुदाय की दुर्दशा और एक विवादास्पद पुलिस एनकाउंटर को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। लोकसभा सांसद राजकुमार रोत (Bharat Adivasi Party) ने बुधवार को अपने एक्स (X) पोस्ट के माध्यम से बैगा आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों और हिरण सिंह परते की कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच की मांग की है। इस पोस्ट ने न केवल राज्य सरकार, बल्कि केंद्र सरकार और विपक्षी दलों का भी ध्यान आकर्षित किया है।
हिरण सिंह परते की मौत का मामला
राजकुमार रोत के अपने एक्स पोस्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के मंडला जिले में दो माह पहले (9 मार्च 2025) बैगा आदिवासी हिरण सिंह परते की पुलिस मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इसे एक "खूंखार नक्सली" के रूप में प्रचारित किया, लेकिन रोत का दावा है कि हिरण सिंह का नक्सलवाद से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने स्वयं पीड़ित परिवार से मुलाकात की और कहा कि यह एनकाउंटर बेनामी संपत्ति से जुड़े किसी बड़े राज को दबाने की साजिश हो सकती है। न्यूकेरला डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश सरकार ने हिरण सिंह की पत्नी को 10 लाख रुपये की सहायता दी है, लेकिन कांग्रेस ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार देते हुए विरोध जताया है।
बैगा आदिवासियों का शोषण
रोत ने अपने एक्स पोस्ट में बैगा आदिवासियों की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा कि इस समुदाय को न शिक्षा, न स्वास्थ्य सुविधा, न घर, न बिजली और न ही पानी मिल रहा है। इसके बावजूद कागजों में वे करोड़ों की संपत्ति के मालिक बनाए गए हैं, जो शोषण का एक और उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैगा आदिवासियों को नक्सली बताकर मारा जा रहा है, कुछ को फर्जी मामलों में जेल में डाला जा रहा है, जबकि कई लापता हो रहे हैं। वेबसाइट विकिपीडिया के अनुसार, बैगा जनजाति की आबादी मध्यप्रदेश में 4,14,526 है, लेकिन संरक्षण नीतियों और विस्थापन के कारण उनकी संख्या में लगातार कमी आ रही है।
सियासी बयानबाजी और जांच की मांग
रोत ने अपने एक्स पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और विपक्षी नेता राहुल गांधी सहित कई प्रमुख हस्तियों को टैग किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मध्यप्रदेश सरकार बैगा आदिवासियों की सुध लेगी या फिर वोट बैंक की राजनीति के लिए उनका शोषण जारी रहेगा? सोशल मीडिया पर समर्थकों ने रोत की तारीफ की और उन्हें आदिवासी हितों की आवाज करार दिया। एक यूजर ने लिखा, "आदिवासी समुदाय की जमीन हड़पने के लिए ऐसी घटनाएं की जा रही हैं, जांच होनी चाहिए।"
विशेषज्ञों का मत
जैकोबिन डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 से अब तक 92 नक्सलियों और आदिवासियों की मौत सुरक्षा बलों के ऑपरेशनों में हुई है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि आदिवासी समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। वहीं, डाउन टू अर्थ की एक खबर में बताया गया है कि देशभर में टाइगर रिजर्व के नाम पर आदिवासियों का विस्थापन तेज हो रहा है, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
आगे की राह
राजकुमार रोत के एक्स पोस्ट ने आदिवासी अधिकारों और फर्जी मुठभेड़ की जांच की मांग को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने मांग की है कि हिरण सिंह परते के एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच हो और बैगा आदिवासियों के शोषण पर रोक लगाई जाए। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है या यह फिर से सियासी बयानबाजी में दब जाता है।