ट्रामा सेंटर खुद बना ‘बीमार’, दीवारों से झड़ रहा प्लास्टर, तारों से झूल रही जान
देवास। जिला अस्पताल परिसर में बने ट्रामा सेंटर की हालत कुछ ही वर्षों में जर्जर हो चुकी है।
मरीजों को आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से तैयार यह भवन अब खुद ‘इलाज’ का मोहताज नजर आ रहा है। दीवारों से प्लास्टर उखड़ रहा है, जगह-जगह सीलन दिख रही है, और बिजली के खुले तार मरीजों और स्टाफ के लिए खतरे का कारण बने हुए हैं।
ट्रामा सेंटर परिसर में कई स्थानों की टाइल्स उखड़ चुकी हैं, जिनसे आने-जाने वाले मरीजों व परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। शौचालयों की हालत भी नारकीय है। गंदा पानी बह रहा है, फर्श पर टाइल्स टूट चुकी हैं और सफाई की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। जिला अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग में भी नेत्र रोग विभाग के यहां भी इसी तरह के हाल है। चेंबर चोक है, गंदा पानी बह रहा है। टाइल्स व प्लास्टर उखड़ रहा है।
नगर जनहित सुरक्षा समिति के सदस्यों ने ट्रामा सेंटर का निरीक्षण किया। समिति के अनिलसिंह बैस, विनोदसिंह गौड़, विजयसिंह तंवर, सुभाष वर्मा, उमेश राय, सुनीलसिंह ठाकुर, अनूप दुबे, तक़ीउद्दीन काजी, दीपक मालवीय, सुरेश रायकवार, सत्यनारायण यादव और जाकिर हुसैन नजमी आदि ने केंद्र की स्थिति को अत्यंत चिंताजनक बताया।
समिति के विनोदसिंह गौड़ ने बताया कि, हमें मरीजों द्वारा कई बार शिकायतें प्राप्त हुई थीं। जब स्थल का निरीक्षण किया गया, तो हालात वाकई बेहद खराब निकले। ट्रामा सेंटर के निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की गई है और मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई चल रही है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब अस्पताल प्रबंधन अन्य कार्यों में मेंटेनेंस का लाखों रुपये का बजट खर्च करता है, तो ट्रामा सेंटर को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है।
समिति ने मांग करते हुए कहा कि
ट्रामा सेंटर भवन की तत्काल तकनीकी जांच हो, मेंटेनेंस कार्य शीघ्र शुरू किया जाए, विभागीय जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जाए। नगर जनहित सुरक्षा समिति ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।