रहटगांव के वनांचल क्षेत्र में गर्भवती महिला को झोली में लेकर अस्पताल पहुंचे परिजन, आदिवासी क्षेत्रों की स्थिति बदहाल
एंबुलेंस नहीं पहुँच पाती, झोली में 6 किलोमीटर का सफर
बता दे कि बुधवार को मनासा गांव में ममता बाई पति अखिलेश को प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने एंबुलेंस बुलाने की कोशिश की, लेकिन कीचड़ भरे रास्ते के कारण कोई भी वाहन गांव तक नहीं पहुँच पाया। मजबूर होकर, परिवार वालों ने ममता बाई को एक झोली में डाला और लगभग 6 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक लाए। जहाँ से उन्हें बाइक की मदद से अस्पताल पहुँचाया जा सका।
बार-बार सामने आती हैं ऐसी घटनाएं-
स्थानीय लोगों के अनुसार यह कोई पहली घटना नहीं है। खराब सड़कों के कारण एंबुलेंस और अन्य वाहन इन गाँवों तक नहीं पहुँच पाते। जिससे गर्भवती महिलाओं व गंभीर मरीजों को जान जोखिम में डालकर अस्पताल जाना पड़ता है। बावजूद इसके जिला प्रशासन और नेताओं की उदासीनता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
जयस ने उठाई आवाज दी आंदोलन की चेतावनी
इस घटना पर जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) के पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश ककोड़िया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा कि अगर जल्द ही इन सड़कों की हालत नहीं सुधारी गई, तो आदिवासी समाज आंदोलन करने पर मजबूर होगा। उन्होंने मांग की है कि इन वनांचल क्षेत्रों में तुरंत सड़कें बनाई जाए। ताकि आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस और अन्य वाहन आसानी से पहुँच सकें। यह घटना दिखाती है। कि हरदा के कई आदिवासी गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस गंभीर मामले पर कोई ठोस कदम उठाता है। या फिर ऐसी दुखद घटनाएं होती रहेंगी।