प्रतापगढ़ कामठी में आदिवासी समाज के पवित्र पेनठाना पर असामाजिक तत्वों द्वारा अपमान, ताला तोड़कर गोंडी पूजा पद्धति का उल्लंघन, समाज ने की सख्त कार्रवाई की मांग
कुकदूर, 15 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ के प्रतापगढ़ कामठी क्षेत्र में आदिवासी समाज के पवित्र धार्मिक स्थल पेनठाना में असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए अपमानजनक कृत्य ने स्थानीय आदिवासी समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। 14 अगस्त 2025 को असामाजिक तत्वों ने पेनठाना के मुख्य गेट का ताला तोड़कर गोंडी व्यवस्था के विपरीत पूजा पद्धति अपनाई, जिससे आदिवासी समुदाय की धार्मिक आस्था को गहरा आघात पहुंचा है। इस घटना के विरोध में आदिवासी समाज ने एकजुट होकर 15 अगस्त 2025 को कुकदूर थाना प्रभारी को आवेदन सौंपा, जिसमें दोषियों और नगर सैनिक कर्मचारी, जिसने ताला तोड़ा, के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की मांग की गई है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, 14 अगस्त 2025 को कुछ असामाजिक तत्वों ने प्रतापगढ़ कामठी में स्थित आदिवासी समाज के पवित्र धार्मिक स्थल पेनठाना के मुख्य गेट का ताला तोड़ दिया। इसके बाद, उन्होंने गोंडी परंपराओं और पूजा पद्धति के विपरीत अन्य समुदाय की पूजा पद्धति को अपनाकर वहां पूजा की, जो आदिवासी समुदाय की धार्मिक भावनाओं के लिए गहरा आघात साबित हुआ। पेनठाना आदिवासी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है, जहां उनके आराध्य देव की पूजा गोंडी रीति-रिवाजों के अनुसार की जाती है। इस तरह का कृत्य न केवल धार्मिक अपमान है, बल्कि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान पर भी हमला माना जा रहा है।
आदिवासी समाज का आक्रोश और कार्रवाई
इस घटना के बाद आदिवासी समाज ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए कुकदूर थाना प्रभारी को एक आवेदन सौंपा। इस आवेदन में दोषियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने और नगर सैनिक कर्मचारी, जिसने ताला तोड़ने में भूमिका निभाई, के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की गई। आवेदन सौंपने के दौरान आदिवासी समाज के प्रमुख नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाई। इस अवसर पर प्रमुख रूप से निम्नलिखित लोग उपस्थित थे:
- डॉ. जे. लिंगों जी
- श्री कामू बैगा जी
- पंडरिया राज के राजा साहब जी
- श्री बस्तारावेन धूमकेती जी
- श्री मिल्खा पोर्ते जी
- श्री मुन्ना कुंजाम जी
- श्री सियाराम धुर्वे जी
- श्री आत्मा मेरावी
- अधिवक्ता श्री प्रमोद गोलू नेताम जी
- श्री रोशन मेरावी
- श्री संदीप
- श्री ओमराज
- श्री सचिन मेरावी
- श्री बिसेन सिंद्राम
- श्रीमती सुनीता कुंजाम जी
- श्रीमती रोशनी मेरावी जी
- श्रीमती भगवती मरकाम जी
- श्रीमती वतन मेरावी जी
इसके अलावा, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और आसपास के क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के सैकड़ों लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
आदिवासी समाज की मांग
आदिवासी समाज ने इस घटना को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर हमला करार देते हुए निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- तत्काल एफआईआर: ताला तोड़ने वाले नगर सैनिक कर्मचारी और असामाजिक तत्वों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
- कठोर कार्रवाई: दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
- धार्मिक स्थल की सुरक्षा: पेनठाना जैसे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा ठोस कदम उठाए जाएं।
- आदिवासी संस्कृति का सम्मान: गोंडी पूजा पद्धति और आदिवासी परंपराओं का सम्मान करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
पेनठाना आदिवासी समाज, विशेषकर गोंड समुदाय, के लिए एक पवित्र स्थल है, जहां उनके आराध्य देव की पूजा की जाती है। गोंडी पूजा पद्धति प्रकृति और पूर्वजों की पूजा पर आधारित है, जो आदिवासी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। इस तरह के कृत्य न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को भी चुनौती देते हैं। आदिवासी समाज का मानना है कि उनकी परंपराएं और विश्वास प्राचीन काल से चले आ रहे हैं और इन्हें संरक्षित करना उनका अधिकार है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
कुकदूर थाना प्रभारी को आवेदन सौंपे जाने के बाद, प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, आदिवासी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि त्वरित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। समाज के नेताओं ने कहा कि यह घटना न केवल एक अपराध है, बल्कि आदिवासी समुदाय की आस्था और संस्कृति पर हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासी संगठनों ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है। कुछ संगठनों ने इसे आदिवासी समुदाय के प्रति बढ़ते असहिष्णुता का प्रतीक बताया है। साथ ही, यह मांग भी उठ रही है कि सरकार आदिवासी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए विशेष नीतियां बनाए।
निष्कर्ष
प्रतापगढ़ कामठी में पेनठाना पर हुआ यह कृत्य आदिवासी समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा बन गया है। समाज ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की है और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। यह घटना न केवल धार्मिक अपमान का मामला है, बल्कि यह आदिवासी संस्कृति और पहचान के संरक्षण का भी सवाल उठाती है। समाज की मांग है कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।