शरीर की यात्राओं से मुक्त होना है तो अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाओ- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी
May 20, 2025
देवास। शरीर एक पड़ाव है जीवन की यात्रा का। अब तक हम कई शरीरों की यात्राएं कर चुके हैं और उन यात्राओं में हमें पीड़ाऐं ही मिली है। अगर इन शारीरिक यात्राओं से मुक्त होना है। तो अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाओ। क्योंकि हमारे द्वारा किए गए श्रेष्ठ कर्मो से ही हमारे जीवन की यात्रा मंगलमय होगी और फिर हम इस जीवन मरण के चक्र से एक शरीर से दूसरे शरीर की यात्रा से मुक्त हो जाएंगे। यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कालानी बाग सेंटर में आयोजित अमृतवाणी कार्यक्रम में जिले की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने कही।
दीदी ने आगे कहा कि अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनने के लिए हमारी सोच श्रेष्ठ होनी चाहिए। हम जो देखते, सुनते पढ़ते हैं।वह स्वच्छ होना चाहिए। जो हम सुन रहे हैं देख रहे हैं वह हमारे अंदर समाहित हो रहा है। वही हमारी सोच, हमारा कर्म बन जाता है और फिर वही हमारा भाग्य बन जाता है। आगे कहा कि भावनाओं से नहीं समझदारी से जीना सीखें। जीवन में चाहे कितना भी पैसा खर्च करना पड़े लेकिन हम आगे की सीट ही बुक करना चाहेंगे। वैसे ही जितना तुम्हारे स्वभाव व संस्कार में जितना तीव्र गति से परिवर्तन करेंगे और जितनी सात्विकता अपने संस्कारों के अंदर ले आएंगे, सतोप्रधानता ले आएंगे। उतनी ही अच्छी आपके जीवन की यात्र होगी। जीवन की यात्रा खुद हमें ही तय करना है। हमारे कर्मों से ही हमारी यात्रा मंगलमय होगी। इस दौरान दीदी ने संस्था से जुड़ी माता बहनों को आशीर्वाद स्वरूप सौजन्य भेंट भी दी।