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परमात्मा किस रूप में मदद कर देगा उसकी कल्पना नहीं कर सकते- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

देवास। आत्मा का हर संस्कार ऐसा हो कि वह आत्मा खुद सदा सुखी रहे। कितनी ही विपदाएं, दुख आ जाए लेकिन हमारी आत्मा का संस्कार नहीं बदलना चाहिए। आत्मा का संस्कार शांत रहना है। लेकिन अगर शांति ही संस्कार है, तो फिर कभी यह नहीं कहना चाहिए कि थोड़ी शांति चाहिए। संस्कारी आत्मा अपने संस्कारों को भूलकर अगर समय आने पर शांति को नहीं वापरेगी तो फिर शांति कैसे प्राप्त होगी।


शांति और अशांति हमारे विवेक, हमारी सोच पर निर्भर करती है। इसलिए हर परिस्थिति में खुश रहो, यही सोचकर की जो भी दुख या सुख की घड़ी आई है, हमारे कल्याण के लिए ही है। जो भी हो उसमें हमारा कल्याण समाया हुआ है। यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कालानी बाग सेंटर की मुख्य जिला संचालीका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने बालगढ़ में आयोजित परमात्मा शिव के ध्वजारोहण कार्यक्रम में व्यक्त किए। प्रेमलता दीदी ने आगे कहा कि तनाव, चिंता, डर, लोभ, मोह यह सब हमारे भाग्य को बिगाड़ते है। अगर मनुष्य आत्माएं इन विषय विकारों में पड़ी रही तो फिर कभी सुखी नहीं हो सकती। लेकिन अगर सुख, शांति, दुआ, सहयोग हमारे संस्कार में है तो हमारा भाग्य श्रेष्ठ बन जाता है। अगर कोई आपके बारे में गलत बोलता है, सोचता है। तो यह उसकी सोच है। हमें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि वह हमारे बारे में क्या सोच रहा है। हमारे संस्कार आचार, विचार को श्रेष्ठ बनाए रखें। हमें लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। क्योंकि परमात्मा तुम्हारी किस रूप में कब मदद कर देगा। उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। इस दौरान भाई बहनों ने दीदी का सम्मान किया एवं दीदी ने भी भाई बहनों का सम्मान किया। इस अवसर पर हरिकेश्वर दुबे, अमृता दुबे, संजीव कुमार वर्मा, कविता वर्मा, दुर्गेश वर्मा, प्रीति वर्मा, अपुलश्री दीदी, ज्योति दीदी, हेमा वर्मा बहन सहित संस्था से जुड़े भाई-बहन उपस्थित थे।

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