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छत्तीसगढ़ में किशन सेन के अश्लील गाने पर रोक की मांग, दिग्गज कलाकार भी शामिल



रायपुर, 22 मई 2025: छत्तीसगढ़ में स्थानीय सिंगर किशन सेन के कथित रूप से अश्लील गानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने जोर पकड़ लिया है। इस मुहिम में राज्य के कई दिग्गज कलाकार भी शामिल हो गए हैं, जो सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट नजर आ रहे हैं।

प्रदर्शन की तस्वीरें वायरल
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में लोग प्लेकार्ड्स के साथ नारे लगाते और प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के हाथों में "अश्लीलता के खिलाफ जंग" और "किशन सेन पर कार्रवाई" जैसे नारे लिखे हुए पोस्टर दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों में कई जाने-माने कलाकार भी शामिल हैं, जो इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

दिग्गज कलाकारों की भागीदारी
छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और साहित्यिक हलकों से जुड़े कई दिग्गज कलाकार इस प्रदर्शन में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं। इनमें से कुछ नाम ऐसे हैं जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए जाने जाते हैं। इन कलाकारों का मानना है कि किशन सेन के गाने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक और सांस्कृतिक पहचान को धूमिल कर रहे हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक चिंता
यह प्रदर्शन छत्तीसढ़ में सांस्कृतिक मूल्यों और सामाजिक मानदंडों की रक्षा को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ऐसे गाने समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, विशेषकर युवा पीढ़ी पर। दिग्गज कलाकारों की भागीदारी इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से लेने का संकेत दे रही है।

माओवादी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई का संदर्भ

इस बीच, छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई जारी है। 1 दिसंबर 2023 से 21 मई 2025 के बीच 401 माओवादियों को ढेर, 1,429 को गिरफ्तार और 1,355 को आत्मसमर्पण कराने में सफलता हासिल की गई है। यह प्रदर्शन इसी संदर्भ में राज्य में कानून-व्यवस्था और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिशों का हिस्सा लगता है।

पूर्व में ऐसे प्रदर्शनों पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
इससे पहले, शाहीन बाग प्रदर्शन जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक प्रदर्शन करने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। ऐसे में यह देखना होगा कि इस प्रदर्शन को लेकर क्या कार्रवाई की जाती है।

यह प्रदर्शन छत्तीसगढ़ में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर जारी बहस का एक हिस्सा है, जहां जनता और कलाकार दोनों ही अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। राज्य की सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए यह मुहिम एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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