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महापुरुषों की प्रतिमा, 5वीं अनुसूची और पद्दोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दों पर जयस की हुंकार- इंजी.लोकेश मुजाल्दा राष्ट्रीय अध्यक्ष जयस

इंदौर। जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजी. लोकेश मुजाल्दा ने इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राज्य सरकार और प्रशासन को आदिवासी समाज, युवाओं, किसानों और सांस्कृतिक अस्तित्व के मुद्दों पर घेरा।

मुजाल्दा ने कहा: कि ग्वालियर हाईकोर्ट खंडपीठ में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना का जयस समर्थन करता है

चूंकि भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म इंदौर जिले में हुआ था

अतः इंदौर हाईकोर्ट खंडपीठ में भी उनकी प्रतिमा लगाई जानी चाहिए। इंदौर शासकीय लॉ कॉलेज का नाम डॉ भीमराव अंबेडकर किया जाए।

साथ ही, इंदौर के कुमेड़ी में बन रहे टंट्या भील ISBT को लेकर उन्होंने सरकार व प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा, सिर्फ नामकरण से काम नहीं चलेगा, वहां टंट्या भील की आदमकद प्रतिमा भी लगाई जानी चाहिए।

आदिवासी देव स्थलों का संरक्षण करने आदिवासी पुजारा की नियुक्ति की जाए एवं उन्हे शासन द्वारा दी जा रही अन्य मंदिरों के पुजारियों की तरह पारितोषिक दी जाय।

मुजाल्दा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि मध्यप्रदेश फर्जीवाड़ों का गढ़ बन चुका है हर व्यापम परीक्षा फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ रही है चाहे वह पटवारी भर्ती हो या कॉन्स्टेबल भर्ती युवा हताश और बेरोजगार है, रोजगार की व्यवस्था हो। 

प्रमोशन में म प्र शासन द्वारा नियुक्त स्पेशल कौंसिल मनोज गौरकेला तैयार पदोन्नति नियम लागू किया जाय। व एसटी एससी के लगभग एक लाख दस हजार रिक्त बेकलॉग पदों की भर्ती शीघ्र की जाए। 

5 वी अनुसूची का मुद्दा जयस हमेशा से उठाता आया है मुजाल्दा का कहना है कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा चुनाव के समय 5वी अनुसूची की बात तो करते है मगर आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी उसे धरातल पर अमल में नही किया गया, जिसके कारण आदिवासियों की जमीन छीनी गई, निर्दोष आदिवासियों को जेलों में बंद किया गया, आज भी कई निर्दोष लोग जेलों में बंद है उन्हें छुड़ाने का कार्य सरकार करें, जयस राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा 5 वी अनुसूची के तहत ग्रामसभा, टीएसी व पेसा कानून का धरातल पर क्रियान्वयन हो।

ट्राइबल सब प्लान बजट व्यय सिर्फ आदिवासियों के उत्थान के लिए किया जाय।

 9अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पूरे विश्व भर में मनाया जाता है जबकि भारत देश में लगभग दस करोड़ आदिवासी रहते है जो कि यहाँ के मूलवासी है कुल जनसंख्या का आठ प्रतिशत है उनके लिए विश्व आदिवासी दिवस का राष्ट्रीय अवकाश घोषित हो, साथ ही संस्कृति, रीति रिवाज सभ्यता के संरक्षण के लिए उस दिन सभी आदिवासी ब्लाकों में राशि वितरित की जाएं। 

भारत में होने वाली जातिगत जनगणना में आदिवासियों को धार्मिक की जगह अलग से सांस्कृतिक कालम दिया जाए जिससे उनके अस्तित्व, पहचान और संस्कृति का संरक्षण हो सके। 

किसानों को सर्टिफाइड खाद बीज उपलब्ध कराया जाए व उनकी फसलों का उचित दाम दिया जाए।

 आदिवासी क्षेत्रो में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना हो अलीराजपुर, धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, बैतूल, हरदा, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, सिवनी जैसे जिलों में शासकीय मेडिकल, एग्री, लॉ, स्पोर्ट्स, नर्सिंग कालेज का निर्माण हो। आदिवासियों को रोजगार व व्यापार के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए ऑटो मोबाइल, आईटी के विशेष प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएं।

मुजाल्दा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इन मांगों पर समय रहते निर्णय नहीं हुआ, तो जयस पूरे प्रदेश में चरणबद्ध जन आंदोलन शुरू करेगा। प्रेस वार्ता में जयस एवं जयस छात्र संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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