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लामता, चांगोटोला क्षेत्र में खुलेआम बिक रही गांव गांव अवैध रूप से पक्की शराब, जिम्मेदार मौन, कच्ची शराब पर कार्यवाही पक्की शराब पर मेहरबानी

संवाददाता सुनेश शाह उइके। 

बालाघाट (मप्र)। जिले के लामता, चांगोटोला थाना क्षेत्र अंतर्गत इन दिनों पक्की शराब का बोलबाला चल रहा है। शराब ठेकेदार की मनमानी इस कदर बढ़ती जा रही है कि प्रशासन का डर नहीं है। दूसरी ओर प्रशासन कच्ची शराब पर रोजाना ताबड़तोड़ तरीके से कार्रवाई कर रहा है। परंतु उसे गांव-गांव में बिक रही अवैध पक्की शराब नहीं दिख रही है।

जबकि लामता, चांगोटोला थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक ग्राम के चौक,चौराहा में पक्की शराब अवैध रूप से बेची जा रही है। फिर भी प्रशासन कार्रवाई करने में सक्षम नहीं दिख रहा है। मानो लगता है कि प्रशासन शराब ठेकेदार के इशारे पर कठपुतली की तरह कार्य कर रहा है। जबकि अवैध रूप से बेची जा रही अंग्रेजी शराब को लगाम लगाने के लिए पूर्व में कुछ ग्राम की महिलाओं के द्वारा नशा मुक्ति अभियान रैली के माध्यम से थाना प्रभारी को ज्ञापन तक दिया गया था। इसके बावजूद भी पुलिस प्रशासन अवैध अंग्रेजी शराब के विरुद्ध कार्रवाई करने में कोताही बरत रहा है। सूत्रों द्वारा जानकारी के मुताबिक लामता, चांगोटोला में लाइसेंसी शराब की दुकान से शराब ठेकेदार द्वारा क्षेत्र के प्रत्येक गांव में शराब का विक्रय कराया जा रहा है। जिसमें गांव में अशांति का माहौल भी पैदा हो रहा है। ग्रामीण पुलिस प्रशासन से उम्मीद करते हैं कि वह अवैध रूप से बेची जा रही। पक्की शराब पर कार्यवाही करेगा परंतु पुलिस प्रशासन को कच्ची शराब के अलावा पक्की शराब नहीं दिख रही है। सूत्र यह भी बताते हैं, कि पुलिस को शराब ठेकेदार द्वारा महीने अच्छा खासा बंदोबस्त कर दिया जाता है। जिस कारण पक्की शराब पर कार्रवाई करने में पुलिस हाथ खींच लेती है ।अब देखना यहां होगा की समाचार प्रकाशन के बाद क्या पुलिस पक्की शराब पर कार्रवाई करती है या फिर चांगोटोला, लामता क्षेत्र में ठेकेदार की मनमानी चलती रहेगी।

आबकारी विभाग जंगल में ढूंढ लेता है कच्ची शराब गांव में बिक रही पक्की शराब पर कार्रवाई से दूरी... क्यों?

जिले में बैठा आबकारी विभाग क्षेत्र के गांव-गांव में जाकर जंगल में ढूंढ ढूंढ कर कच्ची शराब पर कार्रवाई करने की जोरदार पहल कर रहा है, परंतु वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो शराब ठेकेदार द्वारा भेजकर गांव के चौराहे पर बेची जा रही।अवैध रूप से पक्की शराब पर आबकारी विभाग कार्रवाई से दूरी भी बना रहा है। जिससे यह साबित होता है कि कहीं ना कहीं ठेकेदार के दबाव में आकर आबकारी विभाग तथा स्थानीय पुलिस कार्य कर रही है। आखिरकार क्षेत्र में बिक रही अवैध अंग्रेजी शराब पर लगाम लगाने के लिए कौन सक्षम है या कौन नहीं यह अब तक साबित नहीं हो पा रहा है। जबकि चाहे कच्ची शराब हो या पक्की शराब अवैध रूप से अगर बेची जा रही है, तो दोनों के विरुद्ध पुलिस प्रशासन एवं आबकारी विभाग को कार्रवाई करना चाहिए परंतु यह दोहरी कार्रवाई देख लगता है कि प्रशासन ठेकेदार संग मिलकर मलाई खा रहा है। और कच्ची शराब पर जोरदार तरीके से कार्रवाई करने में लिन है। जिससे प्रशासन के प्रति ग्रामीणों की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है।

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