डांगी रेस्टोरेंट: आदिवासी संस्कृति का जीवंत प्रतीक - राजकुमार रोत
June 10, 2025
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Photo - Rajkumar Roat X post |
आदिवासी वास्तुकला और व्यंजनों का अनुभव
डांगी रेस्टोरेंट की संरचना बांस और घास से बनी पारंपरिक झोपड़ियों जैसी है, जो डांग जिले की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाती है। रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले भोजन में नगली रोटला, बांस की अचार, और मक्का रोटला जैसे पारंपरिक आदिवासी व्यंजन शामिल हैं, जो स्थानीय जड़ी-बूटियों और महुआ-तिल के तेल से तैयार किए जाते हैं। गुजरात ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सोसाइटी के अनुसार, डांग की यह रसोई पीढ़ियों से चली आ रही है और यहाँ के आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करती है। तस्वीरों में दिखाई देने वाली थालियाँ इस क्षेत्र के पारंपरिक खानपान की विविधता को उजागर करती हैं।
महिलाओं की अगुआई और सशक्तिकरण
इस रेस्टोरेंट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आदिवासी समुदाय के लोग संचालित करते हैं, जिसमें 90% कर्मचारी महिलाएं हैं। यह पहल 2019 में शुरू हुई डांगी आदिवासी महिला खेड़ुत एफपीओ (FPO) का हिस्सा है, जो अगा खान रुरल सपोर्ट प्रोग्राम के तहत काम करती है। इस संगठन ने स्थानीय महिलाओं को जैविक खेती, बाजरा उत्पादन, और मुर्गी पालन में प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। रेस्टोरेंट में काम करने वाली महिलाएं अपनी कला और परंपराओं को जीवित रखते हुए आर्थिक स्वावलंबन की मिसाल पेश कर रही हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
राजकुमार रोत ने इस रेस्टोरेंट को "डांग की खुशबू" कहकर अपनी आदिवासी समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता जताई। पिछले साल उन्होंने राजस्थान में बीजेपी शिक्षा मंत्री के विवादास्पद बयानों के खिलाफ डीएनए (डेमोक्रेटिक नेशनल अवेयरनेस) अभियान चलाया था, जो आदिवासी मुद्दों पर उनकी सक्रियता को दर्शाता है। यह रेस्टोरेंट न केवल आर्थिक विकास का साधन है, बल्कि आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने का एक प्रयास भी है, जो आज के दौर में बेहद प्रासंगिक है।
पर्यटकों का नया आकर्षण
रेस्टोरेंट सुबह 11 बजे से खुलता है और इसकी लोकप्रियता सस्ती कीमतों (दो लोगों के लिए लगभग 400 रुपये) और प्रामाणिक स्वाद के कारण बढ़ रही है। नवसारी और सापुतारा आने वाले पर्यटक इस जगह को अपनी यात्रा का हिस्सा बना रहे हैं, जो डांग की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दे रहा है।
डांगी रेस्टोरेंट केवल एक भोजनालय नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति, महिलाओं के सशक्तिकरण, और स्थानीय परंपराओं का एक जीवंत केंद्र है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।