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झालावाड़ स्कूल हादसा: छत गिरने से 6 बच्चों की मौत, कई घायल, बारिश के बीच जर्जर इमारत ढही, प्रशासन राहत-बचाव में जुटा

राजस्थान। 25 जुलाई 2025 की सुबह राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी गांव में सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की जर्जर छत अचानक गिर गई, जिससे कई छात्र-छात्राएं मलबे में दब गए। शुरुआती रिपोर्ट में इस हादसे में चार बच्चों की जान गई और 17 से अधिक घायल हुए थे; बचाव कार्य के दौरान मृतकों की संख्या बढ़कर 6 हो गई और 28 छात्र गंभीर रूप से घायल पाए गए। घटना की सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीण, शिक्षक और पुलिस-प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई और जेसीबी मशीन की मदद से तथा हाथों से मलबा हटाकर दबे बच्चों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू की गई। दर्जन भर घायलों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जिनमें से 11 की हालत गंभीर बताई जा रही है।

हादसा सुबह करीब 8:30 बजे प्रार्थना सभा के दौरान हुआ था। लगातार हो रही भारी बारिश के चलते स्कूल भवन की पुरानी छत पर पानी भरा हुआ था, जिसे हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मरम्मत के लिए पहले से 4.28 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत था, लेकिन फाइल विभाग में अटकी रहने के कारण यह राशि समय पर जारी नहीं हो पाई थी। हादसे की सूचना पर स्कूल के शिक्षक और ग्रामीण मलबा हटाने लगे, और लगभग एक घंटे में सभी दबे हुए बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

घटना पर केंद्रीय और राज्य सरकार के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बच्चों की मौत पर गहरा दुःख जताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे को अत्यंत दुखद बताया और तुरंत राहत कार्य तेज करने के निर्देश जारी किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा प्रभावितों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ईश्वर से प्रभावित बच्चों की आत्मा को शांति देने की प्रार्थना की, और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने घटना की गहन जांच की मांग करते हुए लापरवाही दिखाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की वकालत की। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भरतपुर दौरा रद्द कर तुरंत हादसे स्थल का दौरा किया और उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। साथ ही उन्होंने घायल छात्रों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने का ऐलान किया।

स्थानीय लोगों में भी गहरा आक्रोश फैल गया है। परिजन और ग्रामीण स्कूल परिसर के बाहर इकट्ठा हो गए और भवन की जर्जर स्थिति पर जिम्मेदारों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। ग्रामीणों ने कहा कि मलबे में दबे लगभग सभी बच्चे सातवीं कक्षा के थे और मरम्मत के अभाव में यह पुराना भवन कब्रगाह बन गया। पीपलोदी गांव में ग्रामीणों ने मुख्य रास्ता रोकर प्रदर्शन किया और पुनः ऐसे हादसे न होने की मांग की।

सरकार ने प्रभावित परिवारों की मदद के लिए कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जर्जर स्कूल भवनों की सूची तैयार कर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने घायल बच्चों के इलाज का पूरा खर्च वहन करने का निर्णय लिया है। हालांकि अब तक मृतकों के परिजनों को मुआवज़े की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। प्रशासन ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और इसकी विस्तृत पड़ताल जारी है।

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