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60 गांवों की आस्था का केंद्र कांगरिया देव, सुख समृद्धि और मानव-कल्याण के लिए 29 जुलाई को होगी बड़ी पूजा - श्री कासलिवाल

बागली (देवास)। देवास जिले की तहसील बागली क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाओं का प्रतीक कांगरिया देव की पारंपरिक बड़ी पूजा इस वर्ष 29 जुलाई 2025 (मंगलवार) को विधिवत रूप से संपन्न होगी। यह पूजा हर तीसरे वर्ष आस्था, परंपरा और प्रकृति के संतुलन हेतु की जाती है, जिसमें 60 से अधिक गांवों की श्रद्धालु जनता भाग लेती है।

कांगरिया देव की पूजा की लोक मान्यता वर्षों पुरानी है। मान्यता है कि जब क्षेत्र में भीषण गर्मी हो और समय पर वर्षा न हो, तब क्षेत्र की जनता कांगरिया देव से वर्षा की कामना हेतु सामूहिक पूजा करती है। यह परंपरा बागली रियासत के राजा साहब और बेहरी गांव की पहल से प्रारंभ हुई थी, जो अब पूरे अंचल में श्रद्धा का केंद्र बन चुकी है।

पूजा आयोजन से पूर्व धार्मिक बैठक का आयोजन ग्राम रामपुरा में किया गया, जिसमें विभिन्न गांवों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और धर्मप्रेमी उपस्थित रहे। बैठक में पूजा की रूपरेखा तय की गई और व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित करने पर सहमति बनी।

अखिल भारतीय कोरकू महासभा के सामाजिक कार्यकर्ता भगवानसिंह कासलिवाल ने जानकारी दी, कि इस अवसर पर धावड़िया धूपघटा वाला बाबा और मां खाड़ी वाली की भी पूजा अर्चना की जाएगी। उन्होंने बताया कि ये देव स्थल क्षेत्र के लोकदेवताओं में गिने जाते हैं और क्षेत्र की समृद्ध जलवायु परंपरा से जुड़े हुए हैं।

कासलिवाल के अनुसार, यह पूजा सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सामूहिक आस्था और पर्यावरण चेतना का प्रतीक है। लोग दूर-दूर से पैदल चलकर, नारियल, धूप, फूल, और जल से कांगरिया देव की पूजा करते हैं। यह आयोजन सद्भाव, सहयोग और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को भी उजागर करता है।

इस आयोजन के माध्यम से ग्रामीण जन प्रकृति, लोक आस्था और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। कांगरिया देव की यह पूजा अब केवल परंपरा नहीं, जनचेतना और सामूहिक संस्कृति का पर्व बन चुकी है।

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