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आदिवासी सरना धर्म कोड़ को अविलंब लागू करें भारत सरकार, लगभग 15 करोड़ आदिवासियों का अस्तित्व और पहचान


संवाददाता अनिल कुमार हांसदा।

नवाडीह/बोकारो (झारखंड)। दिनांक 28/01/2024 नवाडीह प्रखंड अन्तर्गत काछो पंचायत  के गोड़ गोड़वा गांव में आदिवासी सेंगेल अभियान के तत्वाधान में लालू मुर्मू की अध्यक्षता में सरना धर्म कोड जन‌ जागरण सभा की गई। संचालन जागेश्वर मुर्मू सेंगेल संयोजक नवाडीह प्रखंड ने किया।

 मुख्य अतिथि के रूप में बोकारो जोनल‌ संयोजक जयराम सोरेन उपस्थित हुए श्री सोरेन ने अपने वक्तव्य में कहा कि "सरना धर्म कोड" भारत के प्रकृति पूजक लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी की जीवन रेखा है। मगर आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस - बीजेपी दोषी हैं। 1951 की जनगणना तक यह प्रावधान था। जिसे बाद में कांग्रेस ने हटा दिया और अब भाजपा जबरन आदिवासियों को हिंदू बनाना चाहती है। 2011 की जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिखाया था जबकि जैन की संख्या 44 लाख थी। अतः आदिवासियों को मौलिक अधिकार से वंचित करना संवैधानिक अपराध जैसा है। सरना धर्म कोड के बगैर आदिवासियों को जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि  बनाना धार्मिक गुलामी को मजबूर करना एवं धार्मिक नरसंहार जैसा है। सरना धर्म कोड की मान्यता मानवता और प्रकृति- पर्यावरण की सुरक्षार्थ भी अनिवार्य है। सरना हेतु मान्य प्रधानमंत्री का उलिहातू  दौरा (15.11.23) और महामहिम राष्ट्रपति का बारीपदा दौरा (20.11.23) भी बेकार साबित हुआ है।

"सरना धर्म कोड" भारत के प्रकृति पूजक लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी की जीवन रेखा - जयराम सोरेन

उपरोक्त तथ्यों के आलोक में आदिवासी सेंगेल अभियान अन्य आदिवासी संगठनों के सहयोग से 30 दिसंबर 2023 को सांकेतिक भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम को बाध्य हुआ था। 30 दिसम्बर 2023 के  भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम का जोरदार असर अनेक प्रदेशों में हुआ। जिसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमर उजाला, दिल्ली ने लिखा कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए रेल-रोड चक्का जाम के बदले उचित मंच पर संवाद सही है और अमर उजाला के अनुसार राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, दिल्ली ने प्रकृति पूजक आदिवासियों को सरना धर्म कोड देने की सिफारिश किया है। आदिवासी समाज उपरोक्त तथ्यों को सही दिशा में सकारात्मक पहल मानती है एवं इसका स्वागत करती है। अमर उजाला का समाचार संलग्न है। 30 दिसम्बर, 2023 के भारत बंद की जानकारी मान्य प्रधानमंत्री को 28 अक्टूबर 2023 के पत्र और रांची में आयोजित 8 नवंबर, 2023 के सरना धर्म कोड जनसभा द्वारा प्रदान की गई थी।


मौके पर मौजूद बोकारो जोनल‌ हेड आनंद टुडू  ने कहा कि भारत के हम आदिवासियों के लिए यह कैसी विडंबना है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक  महामहिम राष्ट्रपति के पद पर भी एक आदिवासी है। भारत के संविधान में धार्मिक आजादी की व्यवस्था मौलिक अधिकार है। हमारी संख्या मान्यता प्राप्त जैनों से ज्यादा है तब भी हमें धार्मिक आजादी से वंचित करना अन्याय, अत्याचार और शोषण नहीं तो क्या है ? आखिर हम जाएं तो कहां जाएं ? अतएव फिर 7 अप्रैल 2024 को भारत बंद, रेल- रोड चक्का जाम को हम मजबूर हैं, यदि 31 मार्च 2024 तक सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए सभी संबंधित पक्ष कोई सकारात्मक घोषणा नहीं  करते हैं। यह भारत बंद अनिश्चितकालीन भी हो सकता है। भारत के आदिवासियों को धार्मिक आजादी मिले इसके लिए आदिवासी सेंगेल अभियान सभी राजनीतिक दलों और सभी धर्म यथा हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि के प्रमुखों से आग्रह करती है कि वे भी मानवता और प्रकृति- पर्यावरण की रक्षार्थ हमें सहयोग करें। महामहिम राष्ट्रपति जी, आपको संविधान सम्मत सरना धर्म कोड देना ही होगा।

उन्होंने आगे कहा कि 7 अप्रैल, 2024 से आहूत भारत बंद में सरना धर्म लिखाने वाले 50 लाख आदिवासी एवं अन्य सभी सरना धर्म संगठनों और समर्थकों को सेंगेल  अपने-अपने गांव के पास एकजुट प्रदर्शन करने का आग्रह और आह्वान करती है। झारखंड विधानसभा में 11.11.2020 को धर्म कोड बिल पारित करने वाली सभी पार्टियों यथा जेएमएम, बीजेपी, कांग्रेस, आजसू आदि के कार्यकर्ताओं को तथा बंगाल से टीएमसी को भी सामने आना होगा वर्ना वे केवल वोट के लिए कार्यरत आदिवासी बिरोधी और ठगबाज ही प्रमाणित होंगे।

 सरना धर्म कोड जनजागरण  सभा में  मौजूद झारखंड प्रदेश संयोजक विरेन्द्र बास्के ने कहा कि  सेंगेल किसी पार्टी और उसके वोट बैंक को बचाने के बदले आदिवासी समाज को बचाने के लिए चिंतित है। चुनाव कोई भी जीते आदिवासी समाज की हार  निश्चित है। आजादी के बाद से अब तक आदिवासी समाज हार रहा है, लुट मिट रहा है। विकास आदिवासियों के लिए विनाश ही साबित हो रहा है। क्योंकि अधिकांश पार्टी और नेता के पास आदिवासी एजेंडा और एक्शन प्लान नहीं है। अंततः अभी तक हम धार्मिक आजादी से भी वंचित है। अतः फिलवक्त सरना धर्म कोड आंदोलन हमारी धार्मिक आज़ादी के साथ बृहद आदिवासी एकता और भारत के भीतर आदिवासी राष्ट्र के निर्माण का आंदोलन भी है। सेंगेल का नारा है- " आदिवासी समाज को बचाना है तो पार्टियों की गुलामी मत करो, समाज की बात करो और काम करो। आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार आदि की रक्षा करो। मगर जो सरना धर्म कोड देगा आदिवासी उसको वोट देगा।" 

सरना धर्म कोड सभा  को बोकारो जोनल युवा मोर्चा अध्यक्ष विजय टुडू और बिरजू सोरेन सेंगेल सरना धर्म मंडवा नवाडीह प्रखंड अध्यक्ष ने भी संबोधित किया।

साथ ही लालू मुर्मू को काछो‌ पंचायत सेंगेल टावर और संताली ओल‌चिकी( माचेतिया) शिक्षक सुमिता मार्डी को नियुक्त किया गया

सरना धर्म कोड जन‌जागरण सभा में‌  रमेश मुर्मू, अनिल मुर्मू, सतिलाल मुर्मू, होपन मुर्मू, अर्जुन मुर्मू, नागेश्वर हेम्ब्रम, ब्रजमोहन मुर्मू, बाबूलाल मुर्मू, चांदमुनी मुर्मू, बसंती मुर्मू,सोनिया मुर्मू, सविता मुर्मू, करमी मुर्मू, सरिता मुर्मू, मनिषा हेम्ब्रम, आर्चना मुर्मू, विराज मुर्मू, शांति मुर्मू, दुलिया हेम्ब्रम, चमेली हेम्ब्रम, ज्योति मुर्मू, रुपा मुर्मू, जियांती मुर्मू, अंजलि मुर्मू, आरती मुर्मू, सुमिता मर्डी, वार्ड सदस्य सोनी टुडू आदि महिला पुरुष उपस्थित थे।

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