संवाददाता जिला ब्यूरो।
रामगढ़, (झारखण्ड)। दिनांक 29/01/2024 रामगढ़ जिला अंतर्गत मांडू प्रखंड के सारूबेडा नव प्राथमिक विद्यालय मांझी टोला में मेंबर्स टाटा स्टील लिमिटेड के वेस्ट बोकारो विस्तारीकरण परियोजना के लिए 11.62 हेक्टर वन भूमि का गैर वन प्रयोजन के लिए उपयोग करने हेतु मांडू अंचल के अंचलाधिकारी एवं टाटा स्टील कंपनी के प्रतिनिधि के द्वारा ग्राम सभा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें सारूबेडा पंचायत के मुखिया संगीता देवी साथ में वन समिति के अध्यक्ष अनु देवी, सचिव अजीत मुर्मू और रामगढ़ जिला वन अधिकार ग्राम सभा मंच के अध्यक्ष हीरालाल मुर्मू, सचिव ओम प्रकाश मांझी भी मौजूद थे।
टाटा स्टील लिमिटेड कम्पनी ने जमीन के बदले न नौकरी दी न मुवाअजा
अनु देवी (अध्यक्ष वनाधिकार समिति, सारूबेडा) ने कहा टाटा कंपनी के द्वारा 2019 में जमीन अधिग्रहण किया गया था। जिसमें सारूबेड़ा के मांझी टोला के लोगों को जमीन के बदले नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक लोगों को न ही नौकरी मिली और न मुवाअजा जिससे आज भी लोग नौकरी के लिए टाटा कंपनी में चक्कर काट रहे हैं। और नौकरी की मांग करते आ रहे हैं। कई वर्ष बीत जाने के बाद भी आजतक कुछ भी सुनवाई नहीं हुई। जिसका पुरजोर विरोध करते हुए पूर्व में अधिग्रहण किए गए जमीन के बदले 29 नौकरी एवं 8 लोगों को अभी तक मुवाअजा भुगतान नहीं किया गया। सभी लोगों ने एक ही स्वर में कहा की पूर्व में दी गई जमीन के बदले जब तक हमें नौकरी एवं मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाएगा। तब तक हम लोग किसी भी कीमत पर जमीन एवं ग्राम सभा नहीं होने देंगे।
टाटा स्टील कंपनी मांझी टोला में स्वास्थ्य, शिक्षा, एवं पेयजल की व्यवस्था से कोसों दूर रही
अंजली देवी ने कहा, हमारे जमीन के बदले जो नौकरी देनी थी, वह भी नहीं दी गई। साथ में मुआवजा के भुगतान के लिए भी काफ़ी आनाकानी की है, साथ ही साथ गांव में छोटे-छोटे बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पीने लायक पानी की व्यवस्था की मांग वर्षों से की जाने के बावजूद भी इसका उचित व्यवस्था नहीं किया गया। जिससे नाराजगी व्यक्त करते हुए आज ग्राम सभा के माध्यम से वन भूमि को अधिग्रहण किए जाने के को लेकर पूरे ग्रामीण महिला एवं पुरुष विरोध करते रहें और अपनी मांगों पर अडे रहने की बात कही।
हमारे पूर्वजों को झांसे में लेकर एवं जानकारी के अभाव में ठगा गया
संजूल मांझी ने कहा, टाटा कंपनी द्वारा भूमि अधिग्रहण किए जाने के बाद युवक युवतियों को रोजगार से जोड़ने की बात एवं स्कूली शिक्षा पर जोर देने साथ में ग्रामीणों को चिकित्सालय की व्यवस्था की जाने की बात हुई थी। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। विस्थापन नीति के अनुसार पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की गई। साथ में हमारे फॉरेस्ट जमीन जो ग्रामीणों की देखरेख में रखा गया था उसको भी कुछ ग्रामीण जमीन दलालों के द्वारा टाटा कंपनी के प्रबंधक से मिलकर वनभूमि को जबरदस्ती अधिग्रहण कर लिया गया। गांव के रैयती जमीन का अधिग्रहण किये जाने एवं भुगतान के बिना ही घरों को तोड़ा गया, जिससे आज भी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मांझी टोला के ग्रामीणों ने मांडू अंचलाधिकारी एवं टाटा स्टील कंपनी के लोगों को पूर्व में लिए गए जमीन के बदले नौकरी एवं मुआवजे का भुगतान नहीं किए जाने पर पुरजोर तरीके से विरोध करते हुए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल की व्यवस्था एवं बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार से जोड़ने साथ ही साथ विस्थापित लोगों के लिए पुनर्वास जैसे सुविधाओं पर जोर देते हुए ग्राम सभा का पुरजोर विरोध किया। जिसमें बाबूराम मांझी, संजय मुर्मू , दीपक मुर्मू , राजेश मुर्मू , मनोज मांझी, बन्नू मांझी, फुगल मांझी, पुष्पा कुमारी, चुन्नू मांझी, रामदेव मांझी, फुगल मांझी, राथों मांझी एवं अनेकों महिला पुरुष थे।